Ayodhya: शंकराचार्यों के अयोध्या नहीं जाने को लेकर क्या बोले मोरारी बापू ?

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में नवनिर्मित भव्य श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस वक्त करेंगे उस समय करोड़ों हिंदुओ का वो सपना पूरा होगा जिसके लिए लोगों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्री राम तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राजनीतिक दलों के अलावा बड़ी-बड़ी हस्तियों को निमंत्रण भेजा जा रहा है. वहीं इस दिन को बेहद खास बनाने के प्रयास में जुटी प्रदेश की योगी सरकार की ओर से जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. एक तरफ देश में जहां रामभक्तों में उत्साह का माहौल है, तो वही दूसरी ओर सियासत थमने का नाम ही नहीं ले रही है.

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मशहूर कथावाचक मोरारी बापू ने व्यक्त किए अपने विचार

एक न्यूज चैनल ने मशहूर कथावाचक मोरारी बापू के साथ खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि इन दिनों बेहद की प्रसन्नता का भाव उत्पन्न हो रहा है. फिर जब शंकराचार्यों के अयोध्या नहीं जाने को लेकर उनसे सवाल किए गए तो उन्होंने कहा, “उनके मन में क्या है…ये वो जानें. इस पावन मौके पर सभी गुरुजनों और विशिष्ट लोगों का आशीर्वाद होना चाहिए. वो आएं या नहीं कम से कम आशीर्वाद होना चाहिए. आशीर्वाद तो बिना पैर जाए भी हो सकता है. वो तो दिल की बातें हैं. राम मंदिर के लिए किसका विरोध होगा. शुभकामनाएं देनी चाहिए.”

मुझे लगता है कि विद्वानों ने सोच समझकर ही मुहूर्त निकाला होगा.

22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय को लेकर भी काफी ज्यादा सियासत हो रही है। उनसे जब प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के समय को लेकर सवाल किया गया तो इस सवाल पर उन्होंने कहा, “मीडिया के माध्यम से जो भी जाना और पढ़ा है तो उसमें विद्वानों और शास्त्रियों से पूछकर ये मुहूर्त निकाला है. मुझे लगता है कि विद्वानों ने सोच समझकर ही मुहूर्त निकाला होगा. परमात्मा का प्राकट्य केवल शास्त्रों की राय से भी नहीं होता, भगवान प्रेम से प्रकट होते हैं. तो शास्त्र का भी आधार है और जन जन का भी प्रेम उमड़ रहा है और ज्योतिषि, नक्षत्र मेरा विषय नहीं है.”

मंदिर पूर्ण नहीं हुआ और प्रतिष्ठा हो रही?

फिर उनसे सवाल किया गया कि मंदिर पूर्ण नहीं हुआ और प्रतिष्ठा हो रही है. तो इस सवाल पर उन्होंने कहा, “इस मामले पर तो महापुरुष ही निर्णय कर सकते हैं क्योंकि ये वास्तु का विषय है. मेरा किसी और चीज से नाता नहीं मेरा सिर्फ राम से नाता है और मेरे राम विराजमान हों, मेरी आंखें उनकी आरती उतारेंगीं. मैं सिर्फ राम को देखकर जा रहा हूं. राम साध्य हैं, राम साधन नहीं. आकाश सभी का है, इसमें कोई भेदभाव नहीं है तो राम आकाश हैं. राम इतने व्यापक हैं कि उन्हें छोटा नहीं करना चाहिए. उनको छोटा करना एक अपराध है. हमारा राम सभी का राम है और एक छोटे फ्रेम में नहीं रखा जा सकता.”

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