Ayodhya को दिया था माता सीता ने श्राप, क्या इसीलिए BJP को मिली हार? जानिए पूरी कहानी..

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
ram mandir

Ayodhya: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में उत्तर प्रदेश के परिणाम बेहद चौंकाने देने वाले रहे। 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को 37 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा (BJP) को 33 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। अन्य राजनीतिक पार्टियां दोहरे अंक में भी सीटें पाने में नाकाम रहीं। इन सबके बीच, सबसे अधिक चर्चा अयोध्यानगरी की रही, जो फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां भाजपा प्रत्याशी की हार हुई।

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राममंदिर निर्माण से जीत थी पक्की

राम मंदिर निर्माण के बाद यह माना जा रहा था कि फैजाबाद से भाजपा की जीत तो पक्की है। लेकिन नतीजे इसके ठीक विपरीत रहे। सत्ताधारी पार्टी की हार ने सभी को हैरान कर दिया। देश में जहां सत्ताधारी पार्टी चुनाव जीतती है, वहां विकास तेजी से होता है। वहीं, अन्य स्थानों पर विकास की रफ्तार धीमी रहती है। वहीँ अब अयोध्या में विकास की गति पर भी प्रश्न उठ रहे हैं।

इस बार के लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ताधारी भाजपा को उत्तर प्रदेश में कम सीटें प्राप्त हुईं। पार्टी इस बार बहुमत के आंकड़े से भी दूर रह गई। अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। रामनगरी में विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी व सपा नेता अवधेश प्रसाद (Awadhesh Prasad) मुकाबले में करीब 54 हजार मतों से जीत गए। वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता लल्लू सिंह (Lallu Singh) को 4,99,722 वोट मिले।

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क्या था माता सीता का श्राप?

चुनाव के नतीजों के बाद अयोध्या और माता सीता के श्राप की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्री राम ने लोगों की बातों में आकर माता सीता को राज्य से निकाल दिया था, तब माता सीता ने अयोध्या को श्राप दिया था। कहा जाता है कि इस श्राप के कारण ही अयोध्या में विकास नहीं हो पाता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अयोध्या की जनता का अपने शासकों के साथ तालमेल कम होता है। श्री राम के बाद, उन्होंने किसी भी शासक को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया। राजा सगर के पुत्र असमंजस और असमंजस के पुत्र अंशुमान को भी अयोध्या की जनता ने राज्य से निकलने पर मजबूर कर दिया था।

अयोध्या का चुनाव परिणाम और इसके पीछे की पौराणिक कथाएं राजनीतिक और सामाजिक बातों का हिस्सा बन गई हैं। अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में अयोध्या में विकास की गति कैसी रहती है और क्या जनता का तालमेल अपने नए नेताओं के साथ सही रहता है की नहीं है।

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