Ayodhya: रामनाथ स्वामी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए CM योगी, बोल-‘घर लौटने से पहले माता सीता ने यहां की थी पूजा’

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
CM Yogi

CM Yogi In Ayodhya: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामनाथ स्वामी मंदिर के कुंभाभिषेकम और जीर्णोद्धार समारोह में अयोध्या और तमिलनाडु के बीच विशेष आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हजारों वर्ष पहले जब श्रीराम सीता माता की खोज में श्रीलंका की ओर बढ़े थे, तो उन्होंने तमिलनाडु में भगवान शिव की आराधना की थी। आज जिस स्थान पर रामेश्वरम स्थित है, वहीं भगवान शिव की पूजा की गई थी। इस पूजा के फलस्वरूप सेतुबंध का निर्माण भी हुआ था, जो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है।

Read more: Kasganj कलेक्ट्रेट परिसर से लापता महिला अधिवक्ता की बेरहमी से हत्या, अर्धनग्न अवस्था में नहर में मिला शव

रामनाथ स्वामी मंदिर का पौराणिक महत्व

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि एक मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम माता सीता को लेकर वापस लौटे थे, तो माता सीता ने रामनाथ स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की थी। इस मान्यता के माध्यम से मुख्यमंत्री ने भारत की सांस्कृतिक एकता को प्रमुखता से पेश किया और कहा कि संपूर्ण भारत एक है। यह आध्यात्मिक परंपरा लगातार आगे बढ़ रही है और अयोध्या में रामनाथ स्वामी का मंदिर स्थापित होने से इसका प्रतीक और स्पष्ट हो गया है।

Read more: Ayodhya कैंटोनमेंट बोर्ड ऑफिस पर CBI की रेड, पूर्व सपा नेता पवन पांडे ने लगाया 15 करोड़ के स्कैम का आरोप

अयोध्या धाम भी तमिलनाडु से जुड़ा हुआ

योगी आदित्यनाथ ने काशी तमिल संगम के सफल आयोजनों का जिक्र करते हुए बताया कि काशी के बाद अयोध्या धाम भी तमिलनाडु से जुड़ चुका है। इससे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को बल मिला है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मत, संप्रदाय और पंथों की उपासना विधियों की भिन्नता के बावजूद, एक भारत श्रेष्ठ भारत का संकल्प और उसकी परिकल्पना को आगे बढ़ाया जा रहा है।

Read more: Rajasthan: हाथ जोड़े, मां होने की दी दुहाई मगर नहीं रुका कलयुगी बेटा, नशे में धुत अपनी मां से किया दुष्कर्म

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या

मुख्यमंत्री ने राजनीतिक संकीर्णता के बीच समाज को बांटने की कोशिशों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस समय में रामनाथ स्वामी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह एक नई प्रेरणा का स्रोत हो सकता है। यह समारोह एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करने में मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की सांस्कृतिक एकता हर कालखंड में बनी रही है, जिसका प्रमाण वैदिक साहित्य, शास्त्र, और संतों की परंपरा में देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से अब तक तीन करोड़ से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। यह अयोध्या को दुनिया की सबसे सुंदर आध्यात्मिक नगरी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Read more: सुप्रीम कोर्ट में चल रही Arvind Kejriwal की जमानत याचिका पर CBI और वकील सिंघवी की जोरदार बहस

मुख्यमंत्री का 30 दिनों के भीतर चौथी बार अयोध्या दौरा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को 30 दिनों के भीतर चौथी बार अयोध्या का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने रामसेवक पुरम में शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया और 25 फीट ऊंचे मंदिर के शिखर पर कलश स्थापित किया। दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार उनका स्वागत भी किया गया। इसके अलावा, वे अशोक सिंहल फाउंडेशन के पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुए और रामलला और हनुमानगढ़ी के दरबार में भी हाजिरी दी। अयोध्या में दक्षिण भारतीय परंपरा के पहले शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह दौरा और उनके द्वारा किए गए उद्घाटन समारोह केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये राजनीतिक और सामाजिक समरसता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। उन्होंने अयोध्या और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक संबंधों को न केवल मान्यता दी, बल्कि इसे भारतीय सांस्कृतिक एकता की एक मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया। यह भी स्पष्ट है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में ऐसे समारोह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक सहयोग को प्रोत्साहित करने का एक प्रभावी तरीका हो सकते हैं।

Read more: Sultanpur डकैती कांड में STF के एनकाउंटर पर अखिलेश यादव ने उठाए सवाल….”बोले ‘जात’ देखकर ली गई जान”

Share This Article
Exit mobile version