Avoid Plastic: हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन आज कल के दौर में लोग प्रकृति से खिलवाड़ करने लगे हैं जिसके चलते इसके बुरे परिणाम का भुगतान हमें और हमारी आने वाली पीढियों को करना पड़ सकता है। बताते चलें कि,इस साल वर्ल्ड इनवायरमेंट डे 2025 की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराना’ रखी गई है। दरअसल,पर्यावरण में प्लास्टिक के बेहद छोटे- छोटे टुकड़े फैले हुए हैं जिसके कारण सांस लेते वक्त से ये हमारे शरीर में चले जाते हैं।प्लास्टिक के इन्हीं कणों की वजह से फेफड़ों, दिमाग और शरीर के दूसरे हिस्सों में बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
रसोई में खतरनाक प्लास्टिक
किचन में रखी हर चीज हमें प्लास्टिक में ही देखने को मिलती है फिर चाहे वो मसालों के डिब्बे हों या दाल के डिब्बे, पानी की बोतल से लेकर बच्चों के टिफिन तक आपको सभी चीजें प्लास्टिक की मिलती हैं। ये हमारे लिए बेहद खतरनाक होते हैं पर इन चीजों का इस्तेमाल आप बिना किसी हिचक के आसानी से करते हैं। बात यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है, कुछ लोग यूज एंड थ्रो सामान और डिस्पोजेबल आइटम का इस्तेमाल भी लंबे समय तक करते हैं।
प्लास्टिक ही नहीं पेपर वाले चाय के कप भी हैं खतरनाक
चाय की दुकान पर जिस प्लास्टिक के कप में आप चुस्की लगा-लगाकर चाय पीते हैं उसमें भी माइक्रो प्लास्टिक के कण होते हैं, पेपर कप में प्लास्टिक की एक फाइन लेयर चिपकाई जाती है जो गर्म चाय डालते ही चाय में मिक्स होकर आपके पेट में चली जाती है। इसलिए अगर आप भी पेपर या प्लास्टिक के कप का इस्तेमाल करते हैं तो ये आपके लिए बेहद खतरनाक हो साबित हो सकता है।
प्लास्टिक से होने वाली बीमारियां
हवा में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक के कण सांस लेने से शरीर में चले जाते हैं,जिसके बाद ये कण फेफड़ों में जमा हो जाते है।इससे सूजन, जलन, अस्थमा और लंबे समय तक फेफड़ों की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। हाल ही में एक रिसर्च से इस बात की जानकारी मिली है कि,ब्लड फ्लो में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव की वजह से ही बनता है जो धमनियों को सख्त कर देते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट से जुड़ी दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। नेनो प्लास्टिक कण दिमाग में ब्लड फ्लो पर असर डालता है।
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