बुजुर्ग माता-पिता पर किया अत्याचार तो संपत्ति से हो जाएंगे बेदखल-योगी सरकार

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By suhani
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इस दुनिया में माँ –बाप बच्चों को जन्म देते है पालन –पोषण कर बड़े करते है उनके भविष्य को संवारने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा देते हैं वही  हमारे देश में एक कहावत है दुनिया में सभी एक समय पर  साथ छोंड देते है पर माँ –बाप अपने बच्चों का कभी साथ नही छोड़ते अक्सर देखा जाता है कि वही बच्चे बडे होकर अपनी दुनिया बनाने के लिए माँ –बाप से अलग हो जाते कभी –कभी तो यह भी देखा जाता है कि कुछ बच्चे अपने दुनिया अपने ही माँ –बाप को  अलग कर देते है कुछ बच्चे माँ-बाप को खुद का ही दुश्मन मानने लगते है वही माँ-बाप के साथ मारपीट भी करने लगते है आपको  बता दें 50% माँ-बाप के साथ अक्सर मारपीट होता है साथ ही संपत्ती हड़प कर अपने ही माँ –बाप को दर-दर भटकने के लिए छोड़ देते है इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश में अब बूढ़े माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों पर अत्याचार करने पर वारिस उनकी संपत्ति से बेदखल किए जा सकते हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली-2014 में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इस बारे में समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के सामने शुक्रवार को प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रदेश सरकार प्रस्तावित संशोधनों पर महाधिवक्ता की सलाह लेकर आगे बढ़ेगी।

उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 को स्वीकार करते हुए वर्ष 2014 में नियमावली लागू की गई। राज्य सप्तम विधि आयोग ने इस नियमावली में संशोधन की सिफारिश की है। आयोग का मानना है कि यह नियमावली, केंद्रीय अधिनियम के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। अभी नियमावली के तहत बुजुर्गों का ध्यान न रखने पर प्रति माह अधिकतम 10 हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता देने या एक माह की सजा का प्रावधान है।

सलिए सप्तम विधि आयोग ने नियमावली के नियम-22 में तीन उप धाराएं जोड़ने की सिफारिश की है। इसमें वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान न रखने पर बच्चों या नातेदारों को उस संपत्ति से बेदखल करने के प्रावधान की बात की गई है, जिस पर वरिष्ठ नागरिकों का कानूनी अधिकार हो। आपको बता दें प्रस्तावित संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक होगी

बेदखली के लिए प्रस्तावित संशोधन

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं की सुनवाई के लिए हर तहसील में एसडीएम की अध्यक्षता में अधिकरण और जिले में डीएम की अध्यक्षता में अपील अधिकरण है। प्रस्तावित संशोधनों में कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति से किसी की बेदखली के लिए अधिकरण को आवेदन दे सकते हैं। अगर वरिष्ठ नागरिक स्वयं आवेदन करने में असमर्थ हैं तो कोई संस्था भी उनकी ओर से ऐसा आवेदन दाखिल कर सकती है

आपको बता दें तथ्यों से संतुष्ट होने पर अधिकरण बेदखली का आदेश कर सकता है। संबंधित पक्ष को तीन दिन के भीतर वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बेदखली के आदेश का पालन करना होगा।ऐसा न किए जाने पर पुलिस की मदद से संपत्ति से बेदखल करने की प्रक्रिया पूरी कर संपत्ति वरिष्ठ नागरिक को सौंप दी जाएगी।अधिकरण के आदेश के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक अपील अधिकरण में 60 दिन के भीतर अपील भी कर सकता है।

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