Atal Bihari Vajpayee’s: अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर 1924 को गवालियर के मिडिल-क्लास स्कूल टीचर के घर पैदा हुए थे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने पत्रकारिता से शुरू किया था। अपना करियर वह अपनी कुशल भाषण कला की वजह से राजनीति में आए थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1947 में प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय सेवक संघ को ज्वाइन किया था।

अटल बिहारी बाजपेयी

जीवन परिचय। श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के मिडिल-क्लास स्कूल टीचर के घर में जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम पंण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी था। अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। महात्मा रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल बिहारी वाजपेयी जी को 2009 में दिल का एक दौरा पड़ा था। जिसके बाद वह बोलने में असक्षम हो गए थे। उन्हें 11 जून 2018 में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ 16 अगस्त 2018 को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर उनकी मृत्यु हो गयी।
कानपुर के डीएवी कॉलेज से किया राजनीति शास्त्र में एम0ए0

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये।
1952 में पहली बार लड़ा लोकसभा चुनाव

अटल बिहारी वाजपेयी ” भारतीय जनसंघ ” की स्थापना करने वालों में से एक थे। और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। साल 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे।
परमाणु शक्ति सम्पन्न देश किया घोषित

अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित देशों को जासूसी उपग्रहों व तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।
दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा की शुरू

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए प्रथम यात्री के रूप में वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और आपसी सम्बन्धों में एक नयी शुरुआत की।

अटल बिहारी बाजपेयी ने हिन्दी भाषा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। बकौल लालजी टंडन, अटल पहले भारतीय थे, जिन्होंने चार अक्टूबर, 1977 को संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना भाषण हिन्दी में देकर भारत को गौरवान्वित किया था। हालांकि, यह भाषण पहले अंग्रेजी में लिखा गया था, लेकिन, अटल ने उसका हिंदी अनुवाद पढ़ा था। (1977 में अटल जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री थे) इसके बाद सितंबर 2000 में अटल बिहारी वाजपयी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिका दौरे पर गए और एक बार फिर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में संबोधित किया।
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देश के खातिर नही की शादी

अटल बिहारी वाजपेया ने कई बार सार्वजनिक जीवन में इस सवाल का खुलकर जवाब दिया। जानकारी के अनुसार पूर्व पत्रकार और अब कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने एक इंटरव्यू के दौरान अटल से पूछ लिया था कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, ‘घटनाचक्र ऐसा चलता गया कि मैं उसमें उलझता गया और विवाह का मुहूर्त नहीं निकल पाया।’इसके बाद राजीव ने पूछा कि अफेयर भी कभी नहीं हुआ ज़िंदगी में, इस पर मुस्कान के साथ अटल ने जवाब दिया- ‘अफेयर की चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं की जाती है’ हालांकि इसी इंटरव्यू में उन्होंने क़ुबूल किया कि वे अकेला महसूस करते हैं।
अटल ने गोद लिया बेटी

1978 में अटल बिहारी वाजपेयी जब मोरारजी सरकार में विदेश मंत्री बने तो वे मिसेज कौल और उनकी बेटियों के साथ सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए, उन्होंने कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य और बाद में उनकी दोहिती निहारिका को गोद ले लिया। अगले कई सालों तक वाजपेयी, कौल के घर नियमित आने-जाने वालों में शामिल थे. बाद में वाजपेयी कौल हाउस में शिफ्ट हो गए जबकि उस वक्त तक प्रोफेसर कौल रामजस कॉलेज के वार्डन थे।
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कौन थीं मिसेज कौल

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मिसेज कौल के रिश्ते की चर्चा बहुत कम की जाती है। दोनों ने एक-दूसरे की भावनाएं समझीं. विभाजन के उस दौर में किसी लड़के और लड़की के बीच की दोस्ती को सराहा नहीं जाता था, वाजपेयी और मिसेज कौल भी इस स्थित से गुजर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक दोनों के बींच में प्रेम प्रसंग था। वाजपेयी ने अपनी भावनाओं का इजहार एक पत्र के माध्यम से किया, जिसे उन्होंने राजकुमारी के लिए लाइब्रेरी की एक किताब में रख दिया था। राजकुमारी ने भी ऐसे ही जवाब दिया, हालांकि उनका जवाब वाजपेयी तक पहुंचा ही नहीं।
पाक महिला पत्रकार ने अटल जी शादी करने की रखा प्रस्ताव

देश के 3 बार पीएम बनने वाले अटल जी अपने हाजिर जवाबी के लिए भी काफी जाने जाते थे। एक बार तो उन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) को लेकर कुछ ऐसा बोल दिया था कि पूरा भारत उनका फैन हो गया था। दरअसल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान की महिला पत्रकार ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया। इसके साथ ही पाक महिला पत्रकार ने अटल जी से मुंह दिखाई में कश्मीर मांग लिया। महिला पत्रकार के इस प्रस्ताव पर अटल जी ने जो जवाब दिया। वो काफी मजेदार था। अटल जी ने महिला पत्रकार के शादी के प्रस्ताव को सुनकर कहा कि फिर हमे दहेज में पाकिस्तान चाहिए। पूर्व पीएम अटल जी के जवाब को सुनकर पूरे हॉल में ठहाके गूंजने लगे। इतना ही नहीं वो पाकिस्तानी महिला पत्रकार भी मुस्कुरा उठी।
बीजेपी का गठन कब और क्यों हुआ

भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने वाले चेहरों में से एक नाम अटल बिहारी वाजपेया जी का भी है। भारतीय जनता पार्टी का आधिकारिक तौर पर स्थापना 1980 में हुई थी, और उसने पहला आम चुनाव 1984 में लड़ा था, जिसमें उसे केवल दो लोकसभा सीटें मिली थीं। 1996 में चुनाव के बाद, भाजपा पहली बार लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन उसकी जो सरकार बनी वह अल्पकालिक रही।
3 बार रहे प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी देश के 3 बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 3 बार पद की शपथ ली थी। साल 1998 से लेकर 2004 तक उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया था। वह 9 बार लोकसभा सांसद चुने गए।