“जुम्मे की नमाज पर नहीं मिलेगा 2 घंटे का ब्रेक” Assam सरकार के फैसले पर JDU नेता ने जताई आपत्ति

Mona Jha
By Mona Jha
Jumma break
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NDA splits over Jumma break: असम सरकार के विधानसभा में शुक्रवार को जुम्मा नमाज के लिए 2 घंटे के ब्रेक की प्रथा को समाप्त करने के निर्णय पर एनडीए में विवाद छिड़ गया है। जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने शनिवार को इस निर्णय की आलोचना की साथ ही विरोध जताया।

उनका कहना है कि किसी को भी धार्मिक आस्थाओं पर हमला करने का अधिकार नहीं है। नीरज ने आगे कहा कि बेहतर होता अगर असम के सीएम लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने पर अधिक ध्यान देते।

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विपक्षी पार्टियों ने साधा निशाना

वहीं इसी बीच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सीएम सरमा पर निशाना साधाते हुए कहा था कि असम के मुख्यमंत्री “सस्ती लोकप्रियता” चाहते हैं और भाजपा “किसी न किसी तरह से मुसलमानों को परेशान करना चाहती है।

वहीं समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने कहा, “हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma)ने समाज में जहर फैलाया है। उनकी सरकार मुसलमानों के खिलाफ है।

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“नमाज के लिए दी जाने वाली दो घंटे की ब्रेक खत्म”

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा (Himanta Biswa Sarma) ने कल एक पोस्ट करते हुए असम विधानसभा में नमाज के लिए दी जाने वाली दो घंटे की ब्रेक को खत्म करने की बात कही थी। जिसमें मुख्यमंत्री ने लिखा था, राज्य विधानसभा ने औपनिवेशिक असम में सादुल्लाह की मुस्लिम लीग सरकार द्वारा शुरू की गई हर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज़ के लिए दो घंटे के स्थगन की प्रथा को समाप्त कर दिया है।

वहीं असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, प्रति शुक्रवार सदन को जुम्मे के लिए 2 घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया। यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी।

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मुस्लिम विवाह और तलाक संबंधित विधेयक भी हुआ पारित

गौरतलब है कि इससे पहले गुरुवार को असम विधानसभा ने मुसलमानों के विवाह और तलाक के पंजीकरण के कानून को निरस्त करने के लिए भी एक विधेयक पारित किया था. राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम निरसन अध्यादेश 2024 को खत्म करने के लिए 22 अगस्त को असम निरसन विधेयक, 2024 को पहली बार पेश किया था।

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विवाद और बहस के बाद पारित हुआ विधेयक

विधेयक को विधानसभा में पेश करने के दौरान काफी बहस और चर्चा हुई। विपक्ष ने इसे लेकर कई सवाल उठाए और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीति करार दिया। हालांकि, बहस के बाद इस विधेयक को आखिरकार पारित कर दिया गया। विधेयक के पक्ष में तर्क देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि इस कानून के तहत केवल नए विवाहों पर यह प्रावधान लागू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि काज़ियों द्वारा पहले किए गए विवाह पंजीकरण वैध रहेंगे।

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