भोजशाला मामले पर जांच पूरी करने के लिए ASI ने कोर्ट से मांगा समय…

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Dhar Bhojshala ASI Survey: मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में इन दिनों काफी सुर्खियों में है. दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश पर धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर में ASI के वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहे है. इसके तहत ही ASI ने भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण पूरा करने के लिए अदालत से 8 सप्ताह की और मोहलत मांगी  है. एएसआई ने सोमवार को हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के समक्ष एक आवेदन दायर कर कहा कि विवादित परिसर में संरचनाओं के खुले हिस्सों की प्रकृति को समझने के लिए कुछ और समय की जरूरत है. बता दे कि, हिंदू पक्ष का दावा है कि 11वीं सदी के स्मारक भोजशाला में वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय यहां कमल मौला मस्जिद होने का दावा करते है.

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29 अप्रैल को हो सकती है ASI के आवेदन पर सुनवाई

7 अप्रैल, 2003 को एएसआई द्वारा की गई एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को भोजशाला परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं। भोजशाला विवाद मामले पर सुनवाई करने के लिए हाईकोर्ट ने पहले ही 29 अप्रैल की अगली तारीख तय कर रखी है. ऐसे में एएसआई के द्वारा दिए गए नए आवेदन पर भी उसी दिन सुनवाई हाने की संभावना है. पिछली सुनवाई में  हाई कोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमल मौला मस्जिद परिसर का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का आदेश दिया था.

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अपने आवेदन में ASI ने कही थी ये बातें

अदालत के निर्देश पर एएसआई ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण करना शुरू किया. दरअसल, इस सर्वेक्षण का आदेश हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस (एचएफजे) नामक संगठन की याचिका पर दिया गया था. इस मामले पर एएसआई ने अपने आवेदन में कहा कि वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करके परिसर और उसके परिधीय क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण जारी है, और उसकी टीम पूरे स्मारक का विस्तृत दस्तावेजीकरण कर रही है. स्मारक की बारीकी से जांच करने पर, ये देखा गया कि प्रवेश द्वार बरामदे में बाद में भराव संरचना की मूल विशेषताओं को छिपा रहा है और इसे हटाने का काम बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए.

ASI  द्वारा दिए गए आवेदन में ये भी बताया गया है कि एएसआई ने राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया है. जिसमें कहा गया है कि NGRI की एक टीम और उनके वैज्ञानिक हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए नियमित रूप से पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहे थे.

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