Portable Hospital: भारत ने दुनिया का सबसे छोटा और पोर्टेबल इमरजेंसी अस्पताल बनाया है। यह अस्पताल पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बना है। आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब नाम का ये अस्पताल 36 चौकोर खानों में बंद है। ये इतना छोटा है कि,इसे कहीं भी एयर लिफ्ट करके आसानी से ले जाया जा सकता है। यहां तक कि इसे साइकिल के अलावा इंसान और ड्रोन भी आपदा वाले स्थान तक ले जा सकते हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में इसे घटनास्थल पर ही 10 से 50 मिनट के भीतर अस्पताल के रुप में तैयार किया जा सकता है।
भारत ने बनाया सबसे छोटा पोर्टेबल अस्पताल
इस पोर्टेबल इमरजेंसी अस्पताल में आईसीयू, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, बेड्स, दवाएं और खाने का सामान भी मौजूद हैं। इस अस्पताल के जरिए 200 लोगों का इलाज किया जा सकता है और 100 मरीजों को 48 घंटे तक बेड्स पर रखा जा सकता है। खास बात यह है कि,इस अस्पताल को पूरी तरह से सोलर एनर्जी और बैटरी की मदद से चलाया जा सकता है। टेस्ट करने की लैब, वेंटिलेटर, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड मशीन जैसे उपकरण से लैस इस अस्पताल में वो सब कुछ है जो किसी आधुनिक अस्पताल में होने चाहिए।
रक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया
पोर्टेबल इमरजेंसी अस्पताल के हर बॉक्स पर एक क्यूआर कोड है जिसे स्कैन करते ही ये पता किया जा सकता है कि,किस बॉक्स में किस बीमारी की दवाएं हैं और उनकी एक्सपायरी डेट क्या है। गौरतलब है कि,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर रक्षा मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से अस्पताल को तैयार किया है। ढाई करोड़ रुपये की लागत वाले अस्पताल को महज साल भर के भीतर ही तैयार किया गया है। आरोग्य मैत्री के तहत भारत ने अपने दो पड़ोसियों देश श्रीलंका और म्यांमार को ये अस्पताल गिफ्ट भी किए हैं।
Read More: Bangladesh में स्थिति बद से बदतर भीषण बारिश के कारण बाढ़ में डूब गए कई शहर
युद्ध के मैदान में भी कारगर साबित होगा अस्पताल
रक्षा मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए इस पोर्टेबल अस्पताल को जंग के मैदान में आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।रक्षा मंत्रालय ने बताया कि,क्यूब को एयरलिफ्ट करने और उसको पैरा ड्राप करने के लिए सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस का इस्तेमाल किया गया है मंत्रालय ने बताया इसस दूर दराज के इलाकों में भी कहीं किसी का इलाज करने में आसानी होगी युद्ध के समय अगर की जवान घायल हो जाता है तो उसकी जान बचाने में ये बेहद कारगर साबित होगा क्योंकि आम तौर पर देखा गया है जब कभी युद्ध के मैदान में कोई जवान घायल हो जाता तो उसको अस्पताल ले जाने का भी समय नहीं मिल पाता इस पोर्टेबल अस्पताल के तैयार हो जाने से कई सारी समस्याएं दूर होंगी।
Read More: Ranchi में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ बीजेपी की युवा आक्रोश रैली, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले