Bangladesh में हिंसा के बीच सेना की तैनाती, राष्ट्रपति ने शेख हसीना के फैसले का किया बचाव

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Bangladesh Violence:

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हालिया हिंसक झड़पों को देखते हुए कर्फ्यू लगाने और सेना की तैनाती के फैसले का प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने मजबूती से बचाव किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये कड़े कदम आवश्यक थे। यह टिप्पणी बांग्लादेश (Bangladesh) के सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी नौकरियों में अधिकांश कोटा खत्म करने के एक दिन बाद आई है। विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किया, जो बाद में हिंसक हो गया। इन झड़पों में सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हुए हैं। शेख हसीना ने इस हिंसा के लिए मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी तथा उनकी छात्र शाखाओं को जिम्मेदार ठहराया है।

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सेना की तैनाती पर समर्थन

राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने समय पर सेना की तैनाती का निर्णय लेने के लिए सरकार की सराहना की है। राजधानी समेत 57 जिलों में 27,000 सैन्यकर्मियों को तैनात किया गया है। इस बीच, मलेशिया ने बांग्लादेश के हालात को देखते हुए मंगलवार को वहां से अपने 123 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला है।

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कोटा सिस्टम पर मचा बवाल

बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था और इसी साल वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हुआ। वही इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 40%, महिलाओं के लिए 10% आरक्षण दिया गया। सामान्य छात्रों के लिए मात्र 20% सीटें रखी गईं है। बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को अपने फैसले में कहा कि 93% सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं, 5% 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों और अन्य श्रेणियों के लिए 2% सीट आरक्षित रखी जाएं।

बांग्लादेश में वर्तमान स्थिति गंभीर है और सरकार के कड़े कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि, हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के पीछे के कारणों को भी समझने और उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। शेख हसीना का विपक्ष पर आरोप लगाना राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है। सरकार को चाहिए कि वह संवाद और समाधान के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित करे ताकि आम जनता का विश्वास बहाल हो सके। सेना की तैनाती से फिलहाल हालात पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए समावेशी नीतियों की जरूरत है।

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