Apara Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है। लेकिन एकादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार पड़ता हैं। पंचांग के अनुसार अभी ज्येष्ठ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जा रहा है। जो कि आज यानी 23 मई दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है।
इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कष्टों का निवारण हो जाता है। एकादशी व्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं मानी जाती है, ऐसे में अगर आप एकादशी व्रत का पूर्ण फल पाना चाहते हैं या अपनी पूजा को सफल बनाना चाहते हैं तो ऐसे में आप अपरा एकादशी की व्रत कथा का पाठ जरूर करें। हम आपके लिए लेकर आए हैं अपरा एकादशी की संपूर्ण व्रत कथा।

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अपरा एकादशी व्रत कथा
पद्मपुराण में वर्णित कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राज करता था. उसका छोटा भाई वज्रध्वज उससे बैर रखता था साथ ही वो क्रूर, अधर्मी और अन्यायी था. एक दिन वज्रध्वज ने महीध्वज की हत्या करके उसे पीपल के नीचे गाड़ दिया. अकाल मृत्यु के कारण राजा प्रेतात्मा की योनि में पीपल पर ही वास करने लगा.
एक दिन वहां से ॠषि धौम्य का गुजरना हुआ तो उन्होंने प्रेत की योनि भोग रहे राजा को भांप लिया और उसके उद्धार के लिए अपरा एकादशी का व्रत किया और अपने व्रत के फल को राजा को दे दिया जिसके फलस्वरूप राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गयी. ॠषि की इस अनुकंपा से राजा महीध्वज को प्रेत योनि से छुटकारा मिला और वो अंत में स्वर्ग लोक गया. यही कारण है कि इस व्रत को करने से प्रेत योनि से छूट जाने का आर्शीवाद मिलता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर श्री हरि की विधिवत पूजा करें, हो सके तो इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर जाकर उनके दर्शन प्राप्त करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है।प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।