Anand Singh Gonda: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक कद्दावर नाम, पूर्व कृषि मंत्री और पूर्व सांसद आनंद सिंह का 86 वर्ष की आयु में रविवार देर रात लखनऊ में निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरे गोंडा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। लोग उन्हें स्नेहपूर्वक ‘यूपी टाइगर’ के नाम से जानते थे। सोमवार को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास मनकापुर कोट लाया गया, जहां उनके चाहने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
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अचानक बिगड़ी तबीयत, लखनऊ में ली अंतिम सांस
जानकारी के अनुसार, रविवार रात आनंद सिंह की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उन्हें तत्काल लखनऊ के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन से सिर्फ गोंडा ही नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी शोक की लहर फैल गई है। मनकापुर कोट और गोंडा क्षेत्र में शोक व्याप्त है, और लोगों की आंखें नम हैं।
राजनीतिक विरासत
आनंद सिंह का राजनीतिक जीवन बेहद प्रेरणादायक रहा। उनका जन्म 4 जनवरी 1939 को हुआ था। 1971 में उन्होंने पहली बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर गोंडा लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 1980, 1984 और 1989 में भी लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की और कुल चार बार सांसद रहे।राजनीति में सक्रियता के दौरान उन्होंने प्रदेश के कृषि मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। इसके बाद 2012 में वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर गौरा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। उनके कार्यकाल को गोंडा की जनता ने हमेशा सम्मान और प्रशंसा की दृष्टि से देखा।
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राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे पुत्र कीर्तिवर्धन सिंह
आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गोंडा से सांसद हैं और भारत सरकार में विदेश राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने भी क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है।
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जनता के दिलों में अमर रहेंगे ‘यूपी टाइगर’
गोंडा के लोगों के लिए आनंद सिंह केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक जननेता, एक मार्गदर्शक और एक सच्चे समाजसेवी थे। उनके सरल स्वभाव, स्पष्ट दृष्टिकोण और विकासोन्मुख सोच के चलते वे हर वर्ग में लोकप्रिय थे।
उनके निधन से एक युग का अंत माना जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर गांव की चौपाल तक हर जगह बस एक ही चर्चा—”हमारा नेता चला गया।”