America Strikes In Iran News:हाल ही में अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए एयरस्ट्राइक ने पूरे मिडिल ईस्ट में अस्थिरता और तनाव की लहर दौड़ा दी है। इस हमले में ईरान के कई रणनीतिक रूप से अहम परमाणु केंद्रों को भारी नुकसान पहुंचा है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब ईरान और इजरायल के बीच चल रहा तनाव चरम पर है। अब अमेरिका की खुली सैन्य भागीदारी ने हालात को और गंभीर बना दिया है।ईरान वर्षों से इस प्रकार की स्थिति की तैयारी करता आ रहा है। उसने अपनी सैन्य क्षमता को इस तरह से विकसित किया है कि वह किसी भी बाहरी हमले का जवाब दे सके। लेकिन अब जब अमेरिका खुलकर इजरायल के साथ आ खड़ा हुआ है, तो ईरान के लिए पीछे हटना आसान नहीं रह गया है।
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ईरान के संभावित जवाबी हमले और विकल्प
अगर ईरान संघर्ष को आगे बढ़ाने का निर्णय लेता है, तो उसके पास अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के पर्याप्त विकल्प हैं। ईरान मिसाइल और ड्रोन के माध्यम से कुवैत, कतर, बहरीन और यूएई जैसे देशों में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है। ये सभी स्थान ईरान की सीमा के बेहद करीब हैं, जिससे अमेरिका को तुरंत जवाब देने में कठिनाई हो सकती है।साथ ही, ईरान तेल और गैस के उत्पादन केंद्रों को भी निशाना बना सकता है। जैसे कि 2019 में सऊदी अरब के तेल संयंत्र पर ड्रोन हमला हुआ था, जिससे देश का आधा तेल उत्पादन ठप हो गया था। इसी प्रकार के हमलों से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है।
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तेल आपूर्ति पर संकट और वैश्विक प्रभाव
मिडिल ईस्ट विश्व की ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख केंद्र है। यदि ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध की स्थिति बनी रहती है, तो सबसे पहले असर तेल के परिवहन मार्गों पर देखने को मिलेगा। इससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है, जो वैश्विक आर्थिक मंदी और राजनीतिक तनाव को जन्म दे सकती है।तेल पर निर्भर देशों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन सकती है और इससे वैश्विक व्यापार और महंगाई पर भी सीधा प्रभाव पड़ेगा।
परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में बढ़ सकता है ईरान
एक और चिंता का विषय यह है कि ईरान अब परमाणु तकनीक के सैन्य उपयोग की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है। अमेरिका द्वारा उसके परमाणु ठिकानों को नष्ट किए जाने के बाद यह आशंका बढ़ गई है कि ईरान अपनी बची-खुची तकनीक का उपयोग परमाणु हथियार निर्माण में कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है।
तकनीक से नहीं, रणनीति से जीती जाती हैं जंगें
हालांकि अमेरिका और इजरायल के पास अत्याधुनिक हथियार और टेक्नोलॉजी हैं, परंतु इतिहास गवाह है कि युद्ध सिर्फ तकनीक के दम पर नहीं जीते जाते। ईरान के पास स्थानीय समर्थन, छापामार रणनीतियां और अप्रत्याशित जवाब देने की क्षमता है, जो उसे एक कठिन प्रतिद्वंद्वी बनाती है।