उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह किछौछा के आसपास के क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह दरगाह रूहानी इलाज का एक बड़ा केंद्र मानी जाती है और यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन इस धार्मिक स्थल के आसपास अवैध अतिक्रमण ने स्थिति को जटिल बना दिया है। नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के चेयरमैन के अनुसार, यह अतिक्रमण लगभग 235 बीघा जमीन पर फैला हुआ है, जिसमें चकमार्ग तालाब, बंजर कब्रिस्तान और अन्य भूमि शामिल हैं। यह भूमि नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के संपत्ति रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन अवैध कब्जे ने इसकी स्थिति को नाजुक बना दिया है।
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100 से अधिक लोगों से अतिक्रमण
आपको बता दे…अभी हाल ही में, नगर पंचायत के कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुसार अवैध अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया। इस दौरान, 100 से अधिक लोगों से अतिक्रमण हटाकर कुछ भूमि का हिस्सा मुक्त कराया गया। हालांकि, नगर पंचायत अध्यक्ष का आरोप है कि इस दौरान कुछ अराजक तत्वों ने कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की और गाली-गलौज की। इन अराजक तत्वों के खिलाफ पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे नगर पंचायत के कर्मचारी नाराज हैं। कर्मचारियों ने एक बैठक में यह निर्णय लिया कि जब तक पुलिस प्रशासन इन अराजकतत्वों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करता, तब तक वे कार्य बहिष्कार करेंगे।
व्यवस्था पूरी तरह से हो गई ठप
साथ ही सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है और दरगाह के आसपास का क्षेत्र कूड़े से भर गया है। नालियों और कूड़ों से बदबू फैलने लगी है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है और लोगों को गंभीर बीमारियों का शिकार होने का डर सता रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के सभासद विनोद कुमार के नेतृत्व में नगर पंचायत के लगभग 50 लोगों ने जिलाधिकारी अविनाश सिंह से मुलाकात की और साफ-सफाई व्यवस्था बहाल करने की मांग की।
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अधिकारियों को जल्द से जल्द समस्या का समाधान
जिलाधिकारी ने शिकायत पत्र प्राप्त करते हुए संबंधित विभाग के अधिकारियों को जल्द से जल्द समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी विश्वास दिलाया कि इस समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा।टांडा तहसील क्षेत्र के ग्राम डुहियां मुबारकपुर निवासी प्रभुनाथ सैनी ने आरोप लगाया कि उनकी जमीन पर पत्थर नसब नहीं किया जा रहा है। पत्थर नसब एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो भूमि की सीमाओं को स्पष्ट करती है और सीमा विवादों को रोकने में मदद करती है। प्रभुनाथ सैनी ने कहा कि वह कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है।