Akshaya Tritiya 2025 : अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से एक अबूझ मुहूर्त के रूप में जाना जाता है। इस दिन को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे कई धार्मिक कार्यों, जैसे पूजा, यज्ञ, दान, व्रत, आदि के लिए शुभ माना जाता है। हालांकि, इस दिन का महत्व सिर्फ हिंदू धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि जैन धर्म में भी इस दिन का विशेष स्थान है। इस लेख में हम जानेंगे कि जैन धर्म में अक्षय तृतीया को क्यों इतना महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।
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हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को एक खास दिन माना जाता है, जिसे कभी न खत्म होने वाला दिन कहा जाता है। ‘अक्षय’ का अर्थ है कभी न समाप्त होने वाला, और इस दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल स्थायी होता है। इस दिन किए गए जप, तप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य, आदि से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसे एक अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दिन का महत्व इतना है कि इसे वैवाहिक समारोह, नए कारोबार की शुरुआत और संपत्ति की खरीदारी जैसे कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
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जैन धर्म में अक्षय तृतीया का महत्व
जैन धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व ‘इक्षु तृतीया’ (Ikshu Tritiya) के नाम से मनाया जाता है, और इसे तीर्थंकर आदिनाथ से जोड़कर देखा जाता है। जैन मान्यता के अनुसार, भगवान आदिनाथ ने इस दिन से समाज में दान के महत्व को प्रकट किया था। इसी कारण, जैन समाज में इस दिन विशेष रूप से दान-पुण्य का महत्व बढ़ जाता है। जैन धर्म के अनुयायी इस दिन आहार दान, ज्ञान दान और औषधि दान करते हैं, ताकि समाज में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे।
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अक्षय तृतीया का ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ

जैन धर्म में यह दिन विशेष रूप से भगवान आदिनाथ के साथ जुड़ा हुआ है, जिनकी उपदेशों ने समाज में दान की अवधारणा को स्थापित किया। इस दिन को जैन समुदाय के लोग अपने जीवन को साधारण और सशक्त बनाने के लिए ध्यान और तपस्या में लीन होते हैं। इसके अलावा, यह दिन तीर्थयात्रियों द्वारा तीर्थों की यात्रा करने का भी होता है, क्योंकि इसे एक शुभ दिन माना जाता है जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग में सहायक होता है।
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अक्षय तृतीया 2025 के दिन विशेष मुहूर्त
अक्षय तृतीया 2025 का पर्व बुधवार, 30 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन का पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस समय के दौरान कोई भी धार्मिक कार्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
विशेष रूप से दान

अक्षय तृतीया का पर्व न केवल हिंदू धर्म में, बल्कि जैन धर्म में भी अत्यधिक महत्व रखता है। यह दिन विशेष रूप से दान, पुण्य और धार्मिक कार्यों को बढ़ावा देने का दिन होता है। जैन समाज में इसे तीर्थंकर आदिनाथ से जोड़कर देखा जाता है, जिनके योगदान को याद करते हुए लोग इस दिन विशेष दान-पुण्य कार्य करते हैं। इस प्रकार, अक्षय तृतीया सभी धर्मों में एक साझा उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो समाज में शांति और समृद्धि का संदेश देता है।