Akash Ambani: रिलायंस जियो इन्फोकॉम के चेयरमैन आकाश अंबानी ने हाल ही में काम के घंटों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनके लिए कार्यस्थल पर बिताए गए घंटों की संख्या से कहीं अधिक महत्वपूर्ण काम की गुणवत्ता है। आकाश अंबानी का यह बयान उस समय आया है जब भारतीय उद्योग जगत में हफ्ते में 70 से 90 घंटे काम करने को लेकर बहस जारी है।
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काम और परिवार दोनों हैं प्राथमिकताएं

मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी ने ‘मुंबई टेक वीक’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनके जीवन में काम और परिवार दोनों ही सबसे बड़ी प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए अपनी प्राथमिकताओं को जानना बहुत महत्वपूर्ण है। आकाश अंबानी ने यह भी बताया कि वे समय और घंटों की मात्रा के बजाय हर दिन किए गए काम की गुणवत्ता को अधिक महत्व देते हैं।
उद्योग जगत में काम के घंटों को लेकर बंटे मत
हाल के दिनों में भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख अधिकारियों ने कामकाजी घंटों को लेकर अलग-अलग राय व्यक्त की हैं। कुछ ने हफ्ते में 90 घंटे तक काम करने की वकालत की है, जबकि कुछ का मानना है कि ये घंटों के मुकाबले मिलने वाले परिणामों पर ध्यान देना चाहिए। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो प्रति सप्ताह 50 घंटे से कम काम करने के पक्ष में है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने कहा कि भारतीयों को अधिक मेहनत करनी होगी और देश को आगे बढ़ाने के लिए हफ्ते में 70 घंटे काम करना जरूरी है।
कृत्रिम मेधा (एआई) में रिलायंस जियो का योगदान

आकाश अंबानी ने अपने बयान में यह भी कहा कि रिलायंस जियो ने कृत्रिम मेधा (एआई) के क्षेत्र में कदम बढ़ाया है। कंपनी ने इस दिशा में मार्गदर्शन के लिए 1,000 से अधिक डेटा वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और इंजीनियरों की एक टीम तैयार की है। आकाश अंबानी के अनुसार, यह टीम एआई के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान और विकास कार्यों में जुटी हुई है।
जामनगर में डेटा सेंटर निर्माण
रिलायंस जियो अपनी एआई यात्रा को और आगे बढ़ाने के लिए जामनगर में एक गीगावाट क्षमता का डेटा सेंटर बना रही है। यह सेंटर देश में एआई के विकास में अहम योगदान देने के उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा, कंपनी ग्राफिक प्रसंस्करण इकाई (जीपीयू) की पेशकश पर भी विचार कर रही है, जिससे व्यापक परिवेश के लाभ में वृद्धि हो सके।

आकाश अंबानी का बयान भारतीय उद्योग जगत में कामकाजी घंटों को लेकर जारी बहस में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उनका मानना है कि कार्यस्थल पर बिताए गए घंटों की तुलना में कार्य की गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है, और यही दृष्टिकोण कंपनी की कार्य संस्कृति में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
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