महाकुंभ (Maha Kumbh) का मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक घटना है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु हर साल अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए संगम में डुबकी लगाते हैं। लेकिन इस मेले के भीतर एक और रहस्यपूर्ण साधना होती है, जिसे “अघोर साधना” कहा जाता है। यह साधना महाकुंभ के विशेष समय पर, यानी आधी रात के बाद रात 12 बजे से लेकर 2 बजे तक की अवधि में की जाती है। इस समय, अघोर साधक विशेष पूजा करते हैं जो आमतौर पर साधारण लोगों से छिपी रहती है।
रहस्यमयी साधना और शिव की उपासना

अघोर साधना का संबंध अघोरी तंत्र से है, जो एक बहुत ही गूढ़ और रहस्यमयी साधना पद्धति मानी जाती है। इस साधना के दौरान साधक, विशेष रूप से तंत्र-मंत्र, ध्यान, और उग्र साधनाओं के माध्यम से अपने मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। यह साधना भगवान शिव की उपासना से जुड़ी होती है, और इसमें कई बार साधक अपने तन-मन को कठोर तप से गुजरने के लिए तैयार करते हैं। यह साधना रात के अंधेरे में होती है, क्योंकि माना जाता है कि इस समय वातावरण में विशेष ऊर्जा का संचार होता है, जो साधना को सफल बनाता है।
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आधी रात में ही क्यों होते है साधना में लीन अघोरी बाबा?
महाकुंभ में अघोर साधना का समय आधी रात से 2 बजे तक रखा जाता है, क्योंकि यह समय विशेष रूप से शांति, एकाग्रता और ऊर्जा के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय वातावरण में गहरी ऊर्जा का संचार होता है, जो साधकों को अपनी साधना में गहरे स्तर तक पहुंचने में मदद करता है। साधक इस समय ध्यान और उग्र तंत्र-मंत्र के माध्यम से अपनी शक्ति और मानसिक स्थिरता को बढ़ाते हैं। इस अवधि में वे किसी भी बाहरी विघ्न से अछूते रहते हैं और पूरी तरह से अपनी साधना में डूबे होते हैं।
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आम लोगो को क्यों है देखना वर्जित?
आम जनता का इस साधना को देखना वर्जित है, क्योंकि यह एक गूढ़ और रहस्यमयी प्रक्रिया होती है, जो केवल विशेष रूप से प्रशिक्षित साधकों द्वारा की जाती है। इस साधना में कई बार खतरनाक उग्र क्रियाओं का समावेश होता है, जिनका सामान्य व्यक्ति के लिए समझ पाना या भाग लेना संभव नहीं होता। इसके अलावा, साधकों का मानना है कि बिना उचित प्रशिक्षण के इस साधना को देखना या उसमें हस्तक्षेप करना न केवल गलत है, बल्कि यह साधना की प्रक्रिया को भी बाधित कर सकता है।