Moradabad में 1 ईंट का पूजन के बाद 5 ईंटो से हुआ था अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास..

Mona Jha
By Mona Jha

Moradabad News : मुरादाबाद में 1 ईंट का पूजन के बाद 5 ईंटो से हुआ था अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यासकांग्रेस सरकार के मंत्री रहे दाऊ दयाल खन्ना ने उठाया था राम मंदिर का बीड़ा,इंदिरा गांधी, राजीव गांधी को लिखे थे पत्र,जवाब नहीं मिलने पर हुए थे दाऊ दयाल नाराज़अपनी किताब में कांग्रेस के लिखे थे कारनामे आज हम आपको राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत करने वाले एक ऐसे कांग्रेस नेता की कहानी बताने जा रहे है जिसने अपनी राजनीति कांग्रेस में की विधायक बने यूपी सरकार ने मंत्री बने थे लेकिन जब बारी राम मंदिर और हिंदू होने के नाते उनकी आस्था की आई और देखा की राम मंदिर आंदोलन में सरकार का समर्थन नहीं मिल रहा तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया और फिर अयोध्या का राम मंदिर।

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ईट उनके परिवार से मुरादाबाद पूजित होकर गई

काशी और मथुरा के मंदिरो को वापस हिंदुओ को दिलाने के लिए जी जान लगाकर आंदोलन करने को आगे बड़े और आज उनके ही शुरुआती संघर्ष का नतीजा कह सकते है की राम मंदिर आंदोलन पूर्ण होकर राम मंदिर बन रहा है। यही नही परिवार का कहना ये भी है की 1990 जिन 5 इटो का पूजन कर राम मंदिर की शिलान्यास किया गया था उनमें से एक ईट उनके परिवार से मुरादाबाद पूजित होकर गई।

बात कर रहे है मुरादाबाद के निवासी और तत्कालीन आंदोलन में धार्मिक स्थल रक्षा कमेटी के संयोजक एवं रामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति के महामंत्री रहे दाऊ दयाल खन्ना की।हालांकि दाऊदयाल खन्ना जी ने जो किताब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को लिखे पत्रों पर लिखी है उसमे उन्होंने कांग्रेस सरकार से अपनी नाराजगी भी जाहिर की है और अपनी किताबों में मुस्लिम लीग के शाहबुद्दीन का भी जिक्र किया है।

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निमंत्रण पत्र में दादा दाऊ दयाल खन्ना जी का जिक्र

आज जब स्वर्गीय दाऊ दयाल खन्ना जी के परिवार को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण पत्र मिला तो उनका परिवार भावुक हो गया और होता भी क्यों नही जिस लड़ाई को उन्होंने जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ा वो सपना जो सच हो रहा है और दूसरा कारण ये भी की राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के इन्विटेशन के साथ आए बुक में स्वर्गीय दाऊदयाल खन्ना की तस्वीर के साथ उनके योगदान को भी याद किया गया।।

राम मंदिर का निमंत्रण पत्र मिलने पर उनके पोते अंबुज खन्ना ने बातचीत में बताया है की उनके पिता ओंकारनाथ खन्ना जी के नाम से निमंत्रण आया है और निमंत्रण पत्र में दादा दाऊ दयाल खन्ना जी का जिक्र किया गया है याद किया है और बताया है की मैन योगदान दादा जी का था और अनगिनत योगदान जो हम सबके नहीं भूल सकते जिन लोगो ने इसमें भाग लिया, और दादा जी को इसमें शामिल करके हमको बहुत गौरवान्वित महसूस कराया है ।

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राम मंदिर का आंदोलन मुरादाबाद से ही शुरू हुआ..

पोते अंबुज कहते है की दादा ने अपने हिंदू होने की जिम्मेदारी निभाई और धर्म के लिए ये आंदोलन शुरू किया , दाऊ जी के पोते कहते है जैसे कहते है आजादी का आंदोलन मेरठ से हुआ वैसे ही राम मंदिर का आंदोलन मुरादाबाद से ही शुरू हुआ । और दादा जी ने उठाया और मुजफ्फर नगर की धर्म संसद और उसके बाद दिल्ली में प्रस्ताव रखा जिसके बाद जो चिंगारी निकली वो पूरे भारतवर्ष में फैली, आज देश और विदेश का हर व्यक्ति खुद को प्राउड फिल कर रहा है और ये निमंत्रण पत्र आना पिता जी के नाम से आना और उसमे भी उनके पिता जी का जिक्र होना ये क्षण हमारे लिया बहुत खास है इसको हम बता भी नही सकते।

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अयोध्या में कार सेवकों के आंदोलन में भी दाऊ दयाल जी का एहम योगदान..

पोते अंबुज का कहना है की जब दाऊ जी ने धर्म संसद में ये पूरा मामला उठाया तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उसके बाद राजीव गांधी जी, बी पी सिंह एवं बूटा सिंह को पत्र लिखे जिसकी उन्होंने एक पुस्तक बनाई थी लोगो को जागरूक करने के लिए और बताया की हम अपने स्तर पर ये कर रहे है और अगर हमे एडमिनिस्ट्रेशन समर्पित नही कर रहा और सहयोग नहीं करेंगे तो हम अपने स्तर पर ही करेगे। और दादा जी ने आजतक जो किया वो अपने देश और धर्म के लिए किया।

1990 में अयोध्या में कार सेवकों के आंदोलन में भी दाऊ दयाल जी का एहम योगदान बताया जाता है उनके पोते कहते है की सबसे पहले मुद्दा उठाया ही दाऊ जी ने था की हमारे राम लला ताले में बंद हैं और उसके बाद दौर चला की उसका ताला खोलो फिर उसके बाद शिला पूजन का हुआ और फिर राम मंदिर बनाने को हुआ , दाऊ दयाल जी के पोते अंबुज का ये भी कहना है की वर्ष 1990 ने जिन 5 ईटो से राम मंदिर की शिला पूजन किया गया उसमे से एक ईट मुरादाबाद से उनके घर से पूजा कर गई थी जिसको दाऊ जी ने पूजी थी ।

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अंबुज का कहना है कि

9 जनवरी 1984 को इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था जिसकी एक कॉपी चौधरी चरण सिंह और एक कॉपी अटल बिहारी वाजपेई जी को भेजी थी उसमे राम मंदिर के लिए लिखा था और ये काम सबकी संतुष्टि से हो तो ज्यादा अच्छा है जिसके बाद अटल बिहारी बाजपेई का एक पत्र 23 जनवरी 1984 का आया जिसमे उन्होंने कहा की आपका पत्र प्राप्त हुआ है प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का और इसके संबंध में मैं उनसे वार्ता करूंगा ।

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