Haryana: लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद हरियाणा में BJP की नई रणनीति, गैर-जाट वोटरों पर फोकस

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
भाजपा की नई रणनीति

Haryana Politics: हरियाणा में लोकसभा चुनाव में पांच सीटें हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को बदल दिया है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान का विश्लेषण किया और पाया कि उसे जाट समुदाय के वोट नहीं मिले। इसी के मद्देनजर भाजपा ने गैर-जाट मतदाताओं पर फिर से फोकस करने का निर्णय लिया है, जो कुल आबादी का लगभग 75 प्रतिशत हैं।

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नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष ने संभाली जिम्मेदारी

रविवार को रोहतक स्थित पार्टी के राज्य कार्यालय में आयोजित एक समारोह में नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष एवं राई से विधायक मोहनलाल बड़ौली (Mohanlal Baroli) ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली। मोहनलाल बड़ौली का ताल्लुक ब्राह्मण समुदाय से है, जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) पिछड़े वर्ग से आते हैं। इस तरह, भाजपा ने राज्य के दो प्रमुख पदों के जरिए जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है।

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जाट नेताओं का घटता प्रभाव

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा, जाट वोटरों से तौबा करती हुई नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जाट समुदाय का पूरा समर्थन हासिल किया, जिससे भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में अपने दम पर सरकार बनाई थी। उस समय पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) को मुख्यमंत्री बनाया गया था। अब पार्टी को अपनी पहले वाली सोशल इंजीनियरिंग पर लौटना पड़ा है। भाजपा को लेकर यही कहा जाता था कि यह गैर-जाट वर्ग की पार्टी है। 1980 से अब तक केवल दो मौकों पर जाट बिरादरी से जुड़े नेताओं को अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है। सुभाष बराला और ओमप्रकाश धनखड़ के अलावा 1980 के बाद अभी तक पार्टी को कोई जाट प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिला है।

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भाजपा की जातीय समीकरण साधने की कोशिश

लोकसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि हरियाणा में भाजपा को जाट समुदाय का समर्थन नहीं मिलेगा। कांग्रेस ने जाट समुदाय का पूरा समर्थन हासिल किया है। जाट वोटों पर अपना हक जताने वाली इनेलो और जजपा को नकार दिया गया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा मौजूदा समय में एक मात्र जाट नेता के तौर पर स्थापित हुए हैं। मौजूदा समय में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी पिछड़े वर्ग से आते हैं, तो वहीं अब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ब्राह्मण समुदाय से हैं। इस तरह भाजपा ने राज्य के दो प्रमुख पदों के जरिए जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है।

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2024 की तैयारी जोरों पर

पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा का कहना है कि 2014 के विधानसभा चुनाव का बिगुल, अमित शाह ने महेंद्रगढ़ में रैली कर फूंका था। अब वे 2024 में भी महेंद्रगढ़ से चुनावी तैयारी का आगाज करेंगे। हरियाणा में भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को पूरी तरह से बदल दिया है। जाट समुदाय से दूरी बनाते हुए पार्टी ने गैर-जाट मतदाताओं पर फोकस किया है। पार्टी ने जातीय समीकरण को साधने के लिए प्रमुख पदों पर गैर-जाट नेताओं को नियुक्त किया है और 2024 की तैयारी में जुट गई है।

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