Corona Virus Update:सिंगापुर के बाद भारत में एक बार फिर कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है.भारत में कोविड-19 केपी.2 सब वैरिएंट से 290 और केपी.1 से 34 लोग संक्रमित पाए गए हैं.सिंगापुर में संक्रमण के मामलों में वृद्धि के लिए ये दोनों सब वैरिएंट जिम्मेदार हैं.ये जेएन1 वैरिएंट के सब-वैरिएंट हैं लेकिन इनका संबंध अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर रूप से बीमार होने से नहीं है.भारत में कोविड-19 के केपी.2 सब वैरिएंट से 290 और केपी.1 से 34 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. सिंगापुर में कोरोना के इस नए वेरिएंट की पुष्टि सबसे पहले हुई थी.ये जेएन1 वैरिएंट के सब-वैरिएंट हैं और इनका संबंध अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर रूप से बीमार होने से नहीं है इसलिए इस वेरिएंट से घबराने या चिंता करने की किसी को कोई आवश्यकता नहीं है।
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कोरोना के आंतक के बाद लोग अब इस वायरस के प्रति बेहद संवेदनशील हैं और नए वैरिएंट के मामलों के प्रति जागरूक हैं और उसका मुकाबला करने के लिए तैयार भी हैं.इसके अनुसार….केपी.1 वेरिएंट के कुल 34 मामले 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामने आए हैं…जिनमें से 23 मामले सिर्फ बंगाल में देखे गए हैं।इसके अलावा गोवा में 1, गुजरात में 2, हरियाणा में 1, महाराष्ट्र में 4, राजस्थान में 2 और उत्तराखंड में 1 मामले सामने आए हैं.केपी.2 सब वैरिएंट के 290 मामले आए हैं…जिनमें सबसे अधिक 148 मामले अकेले महाराष्ट्र के हैं।
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इसके अतिरिक्त भी कोरोना के इस नए वेरिएंट के मरीज अलग-अलग राज्यों में देखने को मिले…दिल्ली में 1,गोवा में 12,गुजरात में 23,हरियाणा में 3, कर्नाटक में 4, मध्य प्रदेश में 1, ओडिशा में 17, राजस्थान में 21, उत्तर प्रदेश में 8, उत्तराखंड में 16 और बंगाल में 36 लोग इस सब वैरिएंट के चपेट में आए।आपको बता दें कि,सिंगापुर में हाल ही में कोविड-19 की लहर देखने को मिली है और 5 से 11 मई के बीच केपी.1 और केपी.2 सब वैरिएंट संक्रमण के 25,900 मामले देखने को मिले हैं।
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INSACOG (इंसाकॉग) क्या है?
भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) 30 दिसंबर 2020 को भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था.ये जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) का एक राष्ट्रीय बहु-एजेंसी कंसोर्टियम है.शुरुआत में इस कंसोर्टियम में 10 प्रयोगशालाएं शामिल थीं बाद में इसका दायरा बढ़ाया गया और वर्तमान में इसमें 28 प्रयोगशालाएं शामिल हैं….जो सार्स-कोव-2 में होने वाली जीनोमिक विविधताओं की निगरानी करती हैं।