Tirupati के प्रसाद में जानवरों की चर्बी होने की पुष्टि के बाद मंदिर में हुआ शुद्धिकरण अनुष्ठान, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी से मांगी माफी

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Lord Venkateswara Swamy

Tirupati Laddu controversy: देशभर के भक्तों और संत समाज में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट की अफवाह के बाद भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है। इस विवाद के कारण कई मंदिरों ने बाहर से आने वाले प्रसाद को भगवान पर अर्पित करने पर रोक लगा दी है। इस घटना ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, जिसके चलते भक्तों और मंदिर प्रबंधन को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान

तिरुपति लड्डू विवाद के बीच, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने सोमवार, 23 सितंबर को मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान का आयोजन किया। इस विशेष पूजा में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी से मंत्रोच्चार के साथ क्षमायाचना की गई। सूत्रों के अनुसार, यह शुद्धिकरण अनुष्ठान 4 घंटे तक चला। इसे ‘शांति होमम पंचगव्य प्रोक्षण’ नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान वेंकटेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया गया। टीटीडी ने यह पूजा तब आयोजित की, जब लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने की अफवाह के चलते विवाद छिड़ा था। इस अनुष्ठान में मंदिर के पुजारी और टीटीडी के अधिकारी भी शामिल हुए। सुबह 6 बजे से शुरू होकर 10 बजे तक चलने वाले इस अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान को अपवित्र आचरण से प्रसन्न करना था।

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चंद्रबाबू नायडू का बड़ा कदम, SIT की जांच का दिया आदेश

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस अफवाह ने न केवल मंदिर की पवित्रता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भक्तों की आस्था को भी ठेस पहुंचाई है। सीएम नायडू ने यह स्पष्ट किया कि SIT में वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, जिसमें IG स्तर या उससे ऊपर के अधिकारी होंगे।

सीएम नायडू ने कहा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “हम तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम कर रहे हैं—पहला, मंदिर की परंपराओं के अनुसार शुद्धिकरण अनुष्ठान। दूसरा, निष्पक्ष जांच और तीसरा, मंदिर प्रबंधन समिति में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनकी धार्मिक आस्था पर कोई संदेह नहीं है।”

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मंदिर की पवित्रता और भक्तों की आस्था बनाए रखने की कोशिश

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस विवाद का समाधान निकालने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए राज्य के सभी मंदिरों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी। इस SOP का उद्देश्य मंदिरों की पवित्रता बनाए रखना और भक्तों की आस्था को मजबूत करना है। नायडू ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर की पवित्रता और धार्मिक परंपराओं को बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “मंदिर की पवित्रता और भक्तों की आस्था हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। हम इस मामले में कोई भी ढील नहीं बरतेंगे और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

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अफवाहों से मंदिर प्रबंधन चिंतित, भक्तों में निराशा

इस विवाद से तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अधिकारी भी काफी चिंतित हैं। वे इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि भक्तों को सच्चाई से अवगत कराया जाए और उन्हें बताया जाए कि लड्डू प्रसाद में कोई मिलावट नहीं की गई है। TTD ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई है कि इस तरह की अफवाहें मंदिर की प्रतिष्ठा और पवित्रता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। दूसरी ओर, भक्तों में भी इस विवाद को लेकर निराशा और गुस्सा है। कई भक्तों का मानना है कि इस तरह की अफवाहें उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। भक्तों का कहना है कि तिरुपति लड्डू प्रसाद उनकी आस्था का प्रतीक है और इस पर सवाल उठाना उनके लिए असहनीय है।

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आस्था पर उठे सवाल

तिरुपति लड्डू विवाद ने न केवल मंदिर प्रबंधन को चुनौती दी है, बल्कि राज्य सरकार के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के SIT जांच के आदेश और मंदिर में शुद्धिकरण अनुष्ठान से इस मामले को संभालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, भक्तों की आस्था और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए और भी कदम उठाने की जरूरत है।

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