600 वकीलो के बाद अब 21 पूर्व जजों ने भी जस्टिस चंद्रचूड़ को लिखी चिट्ठी,‘अनुचित दबाव बनाने’ का लगाया आरोप

Mona Jha
By Mona Jha

CJI DY Chandrachud:न्यायपालिका पर अनुचित दबाव को लेकर 600 वकीलो द्वारा पत्र लिखने के बाद अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 21 पूर्व जजों ने भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को ये पत्र ऐसे समय पर लिखी गई है, जब भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग जारी है.

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21 पूर्व जजों ने अपनी चिट्ठी में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ को लिखा कि, न्यायपालिका पर राजनीतिक हितों की वजह से बहुत ज्यादा दबाव बनाया जा रहा है. ये निष्पक्ष न्यायपालिका के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहा है. पूर्व जजों ने सीजेआई चंद्रचूड़ से एक संस्था के तौर पर जूडिशरी को बचाए जाने के लिए इन दबावों को हावी न होने देने का अनुरोध किया है.

इन्होने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

जिन जजों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के 4 रिटायर जज, दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश महेश्वरी और एमआर शाह शामिल हैं. वही, पत्र लिखने वालो में 17 हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस शामिल है. जिनमें एसएम सोनी, अंबादास जोशी, प्रमोद कोहली, एसएन धींगरा, आरके गौबा, ज्ञानप्रकाश मित्तल, रघुवेंद्र सिंह राठौड़, अजीत भरिहोके, रमेश कुमार मेरठिया, राकेश सक्सेना, करमचंद पुरी और नरेंद्र कुमार के नाम है.

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पत्र में नही किया गया घटना का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे गए पत्र में कहा गया कि, ऐसा करने वाले संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ के लिए न्यायपालिका को कमजोर और न्यायिक प्रणाली पर जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, इस पत्र में पूर्व जजो ने उन घटनाओं के बारे में नहीं बताया, जिसके कारण उन्होंने सीजेआई को पत्र लिखा है.

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600 वकीलो ने भी लिखी थी चिट्ठी

बता दे कि, इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पिंकी आनंद सहित देश के 600 से अधिक वकीलों ने एक चिट्ठी लिखी थी. जिसमें वकीलो ने लिखा था कि इस खास ग्रुप का काम अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालना है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो ने नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. आगे चिट्ठी में कहा गया है कि इनकी गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया मे विश्वास के लिए खतरा है.

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