Acharya Satyendra Das: श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया। वह लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे, जहां ब्रेन हेमरेज के कारण उनका निधन हो गया। 3 फरवरी को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और स्ट्रोक के बाद वह न्यूरोलॉजी वार्ड में उपचाराधीन थे। डॉक्टरों के अनुसार, आचार्य सत्येंद्र दास को कई अन्य बीमारियां भी थीं, और उनके उपचार के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
मुख्यमंत्री योगी ने लिया था हाल-चाल

पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान ने बताया कि लगातार डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन कई स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनकी स्थिति गंभीर हो गई। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आचार्य सत्येंद्र दास का हाल-चाल लिया था।
राम मंदिर ट्रस्ट और अयोध्या में शोक
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन की खबर से राम मंदिर ट्रस्ट सहित अयोध्या के मठ-मंदिरों में शोक की लहर है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय और मंदिर से जुड़े अन्य अधिकारियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। आचार्य सत्येंद्र दास 1993 से श्रीरामलला की पूजा कर रहे थे और राम मंदिर निर्माण के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी और अयोध्या राज परिवार के सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र और गोपाल जी ने भी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर शोक जताया है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे

आचार्य सत्येंद्र दास संतकबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे और 50 के दशक के शुरुआती वर्षों में अयोध्या आए थे। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आचार्य सत्येंद्र दास, राम विलास वेदांती और हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास, तीनों गुरुभाई थे। उन्होंने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय रामलला की मूर्तियों को गोद में लेकर सुरक्षित स्थान पर रखा था।
राम मंदिर आंदोलन और संत परंपरा के लिए अपूरणीय क्षति

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी के रूप में उन्होंने मंदिर के उद्घाटन से पहले तक पूजा-अर्चना की। उनके निधन से न केवल राम मंदिर ट्रस्ट बल्कि अयोध्या में हजारों श्रद्धालुओं का दिल भी टूट गया है। उनकी धार्मिक सेवाएं और अयोध्या के मंदिरों के प्रति उनका समर्पण हमेशा याद किया जाएगा। आचार्य सत्येंद्र दास का निधन भारतीय संत परंपरा और राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा श्रद्धा और सम्मान से याद किया जाएगा।