Abhishek Prakash IAS: उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख अधिकारी, आईएएस अभिषेक प्रकाश, पर सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने के संयंत्र के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया। जांच में उन्हें प्रथमदृष्टा दोषी पाया गया है। यह मामला तब सामने आया जब एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि, विश्वजीत दत्ता, ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी, जिसके बाद राज्य पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सक्रिय किया गया।
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डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले में मिलीभगत का खुलासा

इसके अलावा, आईएएस अभिषेक प्रकाश डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण घोटाले में भी फंस सकते हैं। यह मामला लखनऊ के सरोजनी नगर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है, जहां 18 अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। इस घोटाले की जांच राजस्व परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे ने की थी, और उन्होंने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। रिपोर्ट के आधार पर कुछ अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है।
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भूमि अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा
डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत का चयन किया गया था। इस क्षेत्र में भूमि की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं, क्योंकि ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य रक्षा कंपनियां अपनी जरूरत के लिए भूमि की तलाश कर रही थीं। इन बढ़ी हुई कीमतों का फायदा उठाने के लिए भू-माफिया सक्रिय हो गए थे। तहसील अधिकारियों की मिलीभगत से उन स्थानों पर भूमि अधिग्रहण किया गया, जहां यह कार्य होना था, लेकिन किसानों से सस्ती दरों पर भूमि खरीद ली गई।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भूमि का अधिग्रहण

भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन करते हुए फर्जी दस्तावेजों में हेरफेर की गई। इन दस्तावेजों के माध्यम से अवैध रूप से कुछ लोगों के नाम जोड़ दिए गए और उन्हें भूमि का मालिक दिखा दिया गया। इसके बाद, इन लोगों को मुआवजा वितरित किया गया, जबकि असल में उनके पास जमीन पर कोई अधिकार नहीं था। इसके अलावा, पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की भूमि को पहले संक्रमणीय कराया गया और फिर बेचा गया। इस पूरी प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई और सरकारी धन का गलत उपयोग किया गया।