Prime Chaupal: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अक्सर राज्य में शिक्षा और विकास के क्षेत्र में क्रांति लाने का दावा करती रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कई गांवों की हालत इसके विपरीत नजर आ रही है. एक तरफ जहां सरकार गांवों में विकास के बड़े-बड़े वादे करती है, वहीं दूसरी तरफ हकीकत कुछ और ही नजर आती है। हाल ही में हमारे संवाददाता ने लखनऊ से सटे मलिहाबाद के ग्राम पंचायत महमूद नगर का दौरा किया और वहां के विकास की सच्चाई सामने लाने का प्रयास किया.
Read More: न नाली साफ, न कूड़ा प्रबंधन! Maliahabad के ग्राम पंचायत हबीबपुर में विकास का वादा नदारद
सरकार के विकास दावों की खुली पोल

हमारे संवाददाता जब ग्राउंड जीरो पर पहुंचे, तो सबसे पहले उन्होंने देखा कि गांव में जल निकासी के लिए बनाई गई नालियां बजबजा रही थी। ये नालियां न केवल गंदगी से भरी हुई थीं, बल्कि इलाके में रह रहे लोगों के लिए यह एक गंभीर समस्या बन गई थी। सरकार के विकास योजनाओं के बावजूद, गांव के बुनियादी ढांचे में भारी खामियां देखने को मिली। जहां-जहां पर नजर पड़ी, वहां-वहां गंदगी का अंबार था और सड़कों की हालत भी दयनीय थी। जब संवाददाता ने खुद सड़क पर चलने की कोशिश की, तो सड़क के टुकड़े हाथों में टूटते हुए नजर आए।
सरकारी स्कूलों की हालत का खुलासा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शिक्षा में सुधार लाने की बात करती है, लेकिन महमूद नगर के सरकारी स्कूलों की हालत देखकर यह दावे बेमानी लगते हैं। स्कूलों में नल तो लगाए गए थे, लेकिन उनमें पानी की सप्लाई की कोई गारंटी नहीं थी। जब हमारी टीम स्कूल के अंदर पहुंची, तो वहां के हालात और भी चौंकाने वाले थे। बच्चों के हाथों में किताबें नहीं, बल्कि पोछा दिखे। यह दर्शाता है कि शिक्षा की बजाय सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई है। सरकारी स्कूलों में न केवल सुविधाओं की कमी है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता भी अत्यधिक गिरावट की ओर बढ़ रही है।
गांव में शोपीस बने नल

लोगों की प्यास बुझाने के लिए गांव में लगाए नल अब महज शोपीस बनकर रह गए हैं। नल पर लोगों की उम्मीदें थीं कि इससे उन्हें पानी मिलेगा, लेकिन हकीकत यह थी कि इन नलों का इस्तेमाल केवल देखने के लिए किया जा रहा था। नल के पास खड़े लोग यह बताते हुए नजर आए कि पानी तो कभी आता ही नहीं।
ग्राउंड जीरो पर गांववालों से संवाद
हमारे संवाददाता ने गांव के लोगों से भी बातचीत की और उन्हें विकास के मुद्दों पर अपनी बात रखने का अवसर दिया। गांववाले कहते हैं कि वे विकास के इंतजार में लंबे समय से बैठें हैं, लेकिन अभी तक उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। उनका कहना था कि विकास की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं और उनकी आंखें पथरा चुकी हैं। गांव के लोग अब भी बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
क्या होगा आने वाले दिनों में?

अब यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति में सुधार के लिए क्या कदम उठाती है या फिर यह हालात जस के तस बने रहेंगे। गांवों में इन समस्याओं को नजरअंदाज करना विकास के असली उद्देश्य को अधूरा छोड़ने के बराबर होगा। आने वाले दिनों में अगर स्थिति में सुधार नहीं होता, तो यह सरकार के लिए एक बड़ा सवाल बन सकता है कि विकास की योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू क्यों नहीं हो रही हैं।