राम भक्ति में लीन एक ऐसा समुदाय जो पूरे शरीर पर गुदवाते हैं ‘राम नाम’ और पहनते हैं ‘राम नाम’ का वस्त्र

Mona Jha
By Mona Jha

Ram Mandir Pran Pratistha: पूरा देश-विदेश राममय हो चुका है हर कोई अपने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर आनंदित है। वहीं आज 500 साल का लंबा इंतजार आज खत्म हो रहा है। प्रभु श्रीराम आज अपने भक्तों पर कृपा बरसाने आज अयोध्या आ रहे है। आज प्रभु राम अपने गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर राम भक्तों में उत्साह का माहौल है। वहीं राम के प्रति भक्ति दिखाने का सबका अपना अलग तरीका होता है। इस बीच एक ऐसा भी सामुदाए जो राम अपने पूरे शरीर को राम के नाम समर्पित कर दिया है।

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इस समुदाय की स्थापना एक दलित व्यक्ति ने की थी…

बता दें कि छत्तीसगढ़ के चांदली गांव से रामनामी समाज की शुरुआत हुई थी, इस समाज की शुरुआत साल 1890 के आसपास हुई थी, इस समुदाय की स्थापना परशुराम नाम के एक दलित व्यक्ति ने की थी, ये लोग राम नाम को शरीर पर गुदवाते हैं और राम नाम लिखे वस्त्र पहनते हैं। इन्हें रामनामी कहा जाता है, समाज की मान्यतानुसार, इनके राम किसी मंदिर या मूर्ति में नहीं, हर मनुष्य, पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं में समाए हैं।

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पूरा राममय माहौल रहता है..

वहीं इस समुदाए की गुलाराम रामनामी कहते हैं,- “इस मेले में तीनों दिन, हज़ारों लोग अलग-अलग और सामूहिक रुप से रामायण का पाठ करते हैं, समझ लीजिए कि पूरा राममय माहौल रहता है, असल में गुलाराम छत्तीसगढ़ के उस रामनामी समुदाय से आते हैं, जिसकी पहचान पूरी देह पर राम-राम के स्थाई गोदना या टैटू के कारण है,राम-राम का यह गोदना उनके सिर से लेकर पैर तक शरीर के हर हिस्से में गुदवाया जाता है।

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