69000 Teacher Recruitment: अभ्यर्थियों ने उप मुख्यमंत्री के आवास किया घेराव, पुलिस ने किया बल प्रयोग

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
69000 Teacher Recruitment

Lucknow News: 69000 शिक्षक भर्ती (Teacher Recruitment) में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) के आवास का घेराव किया। वे हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच द्वारा दिए गए फैसले का पालन कराने की मांग कर रहे थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने अभ्यर्थियों को रास्ते में ही रोक लिया और बल प्रयोग कर उन्हें आगे जाने से रोक दिया। अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

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धरना प्रदर्शन जारी

अभ्यर्थी उप मुख्यमंत्री के आवास के सामने धरने पर बैठ गए और जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों के बढ़ते हंगामे को देखते हुए पुलिस ने भारी बल तैनात किया और उन्हें बसों में भरकर इको गार्डन भेज दिया। धरने के दौरान, पुलिस ने अभ्यर्थियों को नियंत्रित करने के लिए बल का इस्तेमाल किया, जिससे प्रदर्शनकारियों की स्थिति और भी बिगड़ गई।

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हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने की मांग

धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। परिणाम आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ व्यापक स्तर पर अन्याय हुआ और उन्हें नौकरी से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया के बाद, 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों की नियुक्ति की जाए।

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सरकार की हीलाहवाली

पटेल ने आरोप लगाया कि सरकार कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करने में हीलाहवाली कर रही है। सरकार ने केवल एक मीटिंग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार शीघ्र ही एक शेड्यूल जारी करे जिसमें नियुक्ति की तारीखें और प्रक्रिया की जानकारी दी जाए। वे चाहते हैं कि पुराने दागी अधिकारियों को हटाकर नए अधिकारियों को नियुक्त किया जाए ताकि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी रूप से पूरी की जा सके।

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अभ्यर्थियों की प्रमुख मांगें

अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने, नई सूची जारी करने, और पुरानी सूची तैयार करने वाले अधिकारियों को हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि नई नियुक्ति सूची बनाने की जिम्मेदारी नए अधिकारियों को सौंपी जाए। उन्होंने सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा जताई है ताकि भर्ती प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी न हो और उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिल सके। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर कब और किस प्रकार की कार्रवाई करती है, और अभ्यर्थियों की समस्याओं का समाधान कब तक संभव होगा। फिलहाल, इस प्रदर्शन ने इस मुद्दे को और भी प्रमुखता प्रदान की है और सरकार की प्राथमिकता में इसे शामिल करने की आवश्यकता को उजागर किया है।

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