Ram Mandir Consecration Ceremony: 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों की लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के भी नाम शामिल हो गए हैं. जिन्होंने 9 नवंबर 2019 में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अंतिम फैसला सुनाया था.अयोध्या में 22 जनवरी को जब पीएम मोदी के हाथों राम लला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. उस समय देश और विदेश के हजारों शख्सियतें उस पल का गवाह बनेंगे.श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से समारोह में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट के उन 5 जजों को आमंत्रण भेजा गया है, जिन्होंने राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
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सुप्रीमकोर्ट के 5 पूर्व जजों को मिला निमंत्रण
आपको बता दें कि,राम जन्मभूमि मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के पांचों जजों को 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए राज्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा पूर्व मुख्य न्यायाधीशों,न्यायाधीशों और शीर्ष वकीलों सहित 50 से अधिक न्यायविद भी शामिल हैं। बुलाए गए मेहमानों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का नाम भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट के जिन 5 पूर्व जजों को आमंत्रित किया गया है, उनमें पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई,शरद अरविंद बोबडे,डीवाई चंद्रचूड़,अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर के नाम शामिल हैं।
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2 पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी मिला निमंत्रण
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए राजनीतिक दलों के नेताओं को भी ट्रस्ट की ओर से आमंत्रित किया गया है.पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,एचडी देवगौड़ा के अलावा राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को निमंत्रण पत्र मिला है।कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे,कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और सोनिया गांधी को भी निमंत्रण मिला है लेकिन कांग्रेस नेताओं ने समारोह में शामिल होने के लिए मना कर दिया है.वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आमंत्रित किया गया है।
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि,9 नवंबर 2019 को राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का अंतिम फैसला सुप्रीमकोर्ट ने सुनाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि,2.77 एकड़ की विवादित जमीन है वो रामलला की जन्मभूमि है.कोर्ट ने जमीन को ट्रस्ट को सौंपने का फैसला सुनाया था.कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि,एक अलग 5 एकड़ जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी जाए, ताकि बोर्ड उस पर मस्जिद बना सके.आपको बता दें कि,6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने हजारों की तादाद में इकट्ठा होकर बाबरी मस्जिद के गुंबद को ढहा दिया था उस दिन के बाद से राम मंदिर आंदोलन ने पूरे देश में अलग रुख ले लिया था।
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