उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 1978 में हुई संभल हिंसा की जांच नए सिरे से कराने का आदेश दिया है।बीजेपी नेता की मांग पर योगी सरकार ने आदेश जारी करते हुए 1978 संभल हिंसा की जांच की रिपोर्ट एक सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया है।यूपी गृह विभाग के उप सचिव और मानव अधिकार आयोग के एसपी ने संभल के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर एक हफ्ते में संभल हिंसा की जानकारी देने को कहा है।
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1978 संभल दंगों की नए सिरे से जांच के आदेश
24 नवंबर 2024 को संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद एक बार फिर संभल 1978 हिंसा की फाइलें खंगालने की तैयारी योगी सरकार की ओर से की जा रही है।मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार का मानना है कि,1978 में संभल में हुई हिंसा की जांच में हिंदुओं के साथ भेदभाव किया गया था जिसको ध्यान में रखते हुए योगी सरकार के आदेश पर 1978 संभल दंगा की फाइलों को फिर से खंगालने की कवायद शुरु हो गई है।
1976 और 1978 में संभल में हुए थे बड़े दंगे
आपको बता दें कि,करीब 77 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले संभल में पहले काफी संख्या में हिंदू रहा करते थे।साल 1976 और 1978 में यहां बड़े दंगे हुए थे जिसके बाद से लगातार यहां हिंदुओं का पलायन शुरु हो गया था।एक रिपोर्ट के मुताबिक संभल जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की साल 1976 में हत्या कर दी गई थी।एसएलएम प्रेमचंद की 1979 में प्रकाशित मॉब वायलेंस इन इंडिया किताब के मुताबिक इमाम की हत्या एक हिंदू के द्वारा की गई थी।
24 नवंबर को सर्वे करने गई टीम पर हुआ था हमला
उत्तर प्रदेश का संभल जिला एक बार फिर से चर्चा में है क्योंकि 24 नवंबर को संभल की जामा मस्जिद में सर्वे करने गई टीम के ऊपर उपद्रवियों ने हमला कर दिया था इस दौरान आसपास के इलाके में पत्थरबाजी और आगजनी की घटना भी घटित हुई थी जिसके बाद प्रशासन ने इलाके में बिजली चोरी और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया।प्रशासन की ओर से चलाए गए इस अभियान के दौरान संभल के खग्गू सराय इलाके में एक प्राचीन मंदिर मिला जिसको लेकर लोगों का कहना है कि,यह मंदिर 400 साल पुराना है 1978 दंगों के दौरान जब हिंदू लोग यहां से पलायन कर गए तब से मंदिर बंद पड़ा था।1978 तक मंदिर में नियमित पूजा-पाठ होता था लेकिन 1978 के दंगों के बाद हिंदू लोग यहां से पलायन कर गए तब से मंदिर में ताला जड़ दिया गया।