विश्व कविता दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन कविता के महत्व, उसकी सांस्कृतिक भूमिका और समाज पर उसके प्रभाव को उजागर करने का एक विशेष अवसर है। 1999 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा इस दिवस को घोषित किया गया था, जिसके बाद से यह दुनिया भर में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आइये जानते है उन महान कवयित्रियों के बारे में जिन्होंने कविता की दुनिया में अपना एक नाम कमाया है।
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महादेवी वर्मा
1907 में फर्रुखाबाद में जन्मीं महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री थीं। उन्होंने महिलाओं के दुःख-दर्द को गहराई से अपनी रचनाओं में व्यक्त किया है। उनकी प्रमुख कृतियों में “नीहार” (1930), “रश्मि” (1932), “नीरजा” (1934), और “सांध्य गीत” (1936) शामिल हैं। “शृंखला की कड़ियाँ” में उन्होंने नारी जीवन में होने वाले भेदभाव को उजागर किया है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1956), पद्म भूषण (1956), और मरणोपरांत पद्म विभूषण (1988) से सम्मानित किया गया।

ज़ेब-उन-निसा
1638 में जन्मी ज़ेब-उन-निसा मुगल सम्राट औरंगजेब की पुत्री थीं। उन्होंने “मख़फ़ी” उपनाम से लगभग 5,000 शेर लिखे, जो “दीवान-ए-मख़फ़ी” में संकलित हैं। अपने जीवन के अंतिम 20 वर्षों में उन्हें उनके पिता ने सलीमगढ़ किले में कैद कर दिया था।
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सरोजिनी नायडू
13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू “भारत की कोकिला” के नाम से प्रसिद्ध थीं। वह स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं और उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए और 1917 में महिला भारतीय संघ की स्थापना में योगदान दिया।
सुभद्रा कुमारी चौहान
16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद में जन्मीं सुभद्रा कुमारी चौहान स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख कवयित्री थीं। उनकी प्रसिद्ध कविता “झाँसी की रानी” रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन करती है। उनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ “बिखरे मोती”, “मुकुल”, और “यह कदम्ब का पेड़” हैं। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

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अमृता प्रीतम
31 अगस्त 1919 को गुजरांवाला, पंजाब में जन्मीं अमृता प्रीतम पंजाबी और हिंदी की प्रमुख कवयित्री, उपन्यासकार और निबंधकार थीं। उनकी प्रसिद्ध कविता “अज्ज आखां वारिस शाह नू” में उन्होंने 1947 के विभाजन के दर्द को व्यक्त किया है। उनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ “मैं तुम्हें फिर मिलूँगी”, “मुलाकात”, “मेरी खता”, “मन जोगी तन भस्म भया”, “तौसीफ़ आई थी”, “विदा”, और “गुफा चित्र” हैं। उन्हें 1983 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कैसे मनाया जाता है?
- विभिन्न देशों में कवि सम्मेलन, कविता पाठ, साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- स्कूल, कॉलेज और साहित्यिक संगठनों द्वारा प्रतियोगिताएं और वर्कशॉप आयोजित की जाती हैं।
- डिजिटल माध्यमों पर ऑनलाइन कविता प्रतियोगिताएं और कविताओं की प्रस्तुति साझा की जाती है।