Mangla Gauri Vrat Katha: आज से सावन का आगाज हो चुका है, यह महीना शिव जी और माता पार्वती की आराधना के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। सावन चातुर्मास का पहला महीना है। श्रीहरि के निद्रा में जाने के बाद शिव जी सृष्टि का संचालन करते हैं। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।सावन के सोमवार भगवान शिव को समर्पित होते हैं, जबकि सावन के मंगलवार माता पार्वती के पूजन के लिए जाने जाते हैं। सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है।
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मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई 2024 को किया जाएगा। इस साल 2024 में चार मंगला गौरी व्रत होंगे। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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मंगला गौरी देवी कौन हैं?

मंगला गौरी देवी, माता पार्वती का ही एक रूप हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा किया जाता है जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। मंगला गौरी व्रत के दौरान माता पार्वती की पूजा और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है और परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
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मंगला गौरी व्रत क्यों किया जाता है ? (Why we do Mangla Gauri Vrat)

महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए, तो कुंवारी युवतियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए सावन में मंगला गौरी व्रत करती है. मान्यता है इस व्रत के प्रताप से जीवन में मंगल ही मंगल होता है।
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मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)
एक समय की बात है एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी लेकिन, उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे। भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन, वह अल्पायु था।उनके पुत्र को श्राप मिला था कि 6 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी।